हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमवस्या तिथि के दिन दिवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष अमावस्या तिथि 12 नवंबर 2023, रविवार के दिन पड़ रही है। इसलिए दिवाली पर्व भी 12 नवंबर 2023 के दिन ही मनाया जाएगा। दिवाली के दिन शाम के समय मां लक्ष्मी और श्री गणेश के साथ ही कुबेर जी की भी पूजा की जाती है।
भारतीय पद्धति के अनुसार प्रत्येक आराधना, उपासना व अर्चना में आधिभौतिक, आध्यात्मिक और आधिदैविक इन तीनों रूपों का समन्वित व्यवहार होता है। इस मान्यतानुसार इस उत्सव में भी सोने, चांदी, सिक्के आदि के रूप में आधिभौतिक लक्ष्मी का आधिदैविक लक्ष्मी से संबंध स्वीकार करके पूजन किया जाता हैं। घरों को दीपमाला आदि से अलंकृत करना इत्यादि कार्य लक्ष्मी के आध्यात्मिक स्वरूप की शोभा को आविर्भूत करने के लिए किए जाते हैं। इस तरह इस उत्सव में उपरोक्त तीनों प्रकार से लक्ष्मी की उपासना हो जाती है।
दिवाली की पूजा में क्या क्या रखना चाहिए?
दिवाली पूजा करते वक्त आपके पास लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, कुमकुम, हल्दी की गांठ, रोली, पान, सुपारी, लोंग, अगरबत्ती, धूप, दीपक, लो, माचिस, घी, गंगाजल, पंचामृत, फूल, फल, कपूर, गेहूं, दूर्वा घास, जनेऊ, खील बताशे, चांदी के सिक्के और कलावा होना चाहिए।
क्यों मनाते हैं दिवाली का त्यौहार?
1) दीपावली मनाने के पीछे जो सबसे प्रसिद्द कथा हैं वह भगवान् राम मान्यता अनुसार भगवान राम जब असुरराज रावण को मारकर अयोध्या नगरी वापस आए तब नगरवासियों ने अयोध्या को साफ-सुथरा करके रात को दीपकों की ज्योति से दुल्हन की तरह जगमगा दिया था। तब से आज तक यह परंपरा रही है कि, कार्तिक अमावस्या के गहन अंधकार को दूर करने के लिए रोशनी के दीप प्रज्वलित किए जाते हैं।
2) पांडवों का अपने राज्य में वापस लौटना-महाभारत काल में कौरवों ने, शकुनी मामा के चाल की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों का सब कुछ छीन लिया था। यहां तक की उन्हें राज्य छोड़ कर 13 वर्ष के लिए वनवास भी जाना पड़ा। इसी कार्तिक अमावस्या को वो 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) 13 वर्ष के वनवास से अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने के खुशी में उनके राज्य के लोगों नें दीप जला कर खुशियां मनाई थी।
3) राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी।
4) हिरण्यकश्यप का वध-एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। दैत्यराज की मृत्यु पर प्रजा ने घी के दीये जलाकर दिवाली मनाई थी।
5) ‘विक्रम संवत’ की स्थापना-इसी दिन गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने ‘विक्रम संवत’ की स्थापना की थी। धर्म, गणित तथा ज्योतिष के दिग्गज विद्वानों को आमन्त्रित कर यह मुहूर्त निकलवाया कि नया संवत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से मनाया जाए।
6) कृष्ण ने नरकासुर का वध किया- कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था। नरकासुर उस समय प्रागज्योतिषपुर (जो की आज दक्षिण नेपाल एक प्रान्त है) का राजा था। इसी खुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं।
7) माता लक्ष्मी का सृष्टि में अवतार-दीपावली का त्यौहार हिन्दी कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने के “अमावस्या” के दिन मनाया जाता है। इसी दिन समुन्द्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी ने सृष्टि में अवतार लिया था। यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है।
8) राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेकउज्जैन के राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे। वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे और उन्हें उनके उदारता, साहस तथा विद्वानों के संरक्षणों के कारण हमेशा जाना जाता है। इसी कार्तिक अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था। राजा विक्रमादित्य मुगलों को धूल चटाने वाले भारत के अंतिम हिंदू सम्राट थे।
9) महाकाली का रूपराक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई। इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है।
दिवाली वाले दिन क्या नहीं करना चाहिए?
दिवाली के दिन देर तक ना सोते रहें, इस दिन नाखून काटने, शेविंग करने से भी बचना चाहिए। एक दिन पहले ही ये सभी काम कर लें ऐसा करना अशुभ होता है। पूजा के लिए गणेश भगवान की मूर्ति खड़ी मुद्रा में नहीं, बल्कि बैठी हुई मुद्रा में ही हो इस दिन शराब पीने और मांसाहारी भोजन लेने से बचें। बड़े बुजुर्गों को भी अपनी वाणी में शिष्टाचार रखना चाहिए किसी को भी अपशब्द ना कहे सभी को आशीर्वाद देना चाहिए जिससे परिवार में शुभता बनी रहती है। दिवाली पर मांस मदिरा और जुए जैसे कुकर्मों से दूर रहना चाहिए तभी माता लक्ष्मी और गणेश जी का वास होता है। दीये को रात भर जलाने के लिए पूजा घर को रात में खाली न छोड़ें। भगवान गणेश की ऐसी मूर्ति न रखें, जिसकी सूंड दाहिनी ओर हो। घर के अंदर आतिशबाजी या फुलझड़ी का प्रयोग करें।
दिवाली – 5 दिनों का त्यौहार
पहले दिन धनतेरस के त्योहार मनाया जाता है इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म उत्सव के रूप में भी यह त्योहार मनाया जाता है ।इस दिन लोग अपने घर सोने और चांदी के आभूषण खरीदना पसंद करते है।
दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मार गिराया था। कुछ लोगों द्वारा यह दिन छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है।
तीसरा दिन दीपावली त्यौहार का मुख्य दिन होता है। महालक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ ही साथ विद्या की देवी मां सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
दीपावली के चौथे दिन को गोवर्धन पूजा की जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी एक अंगुली पर उठा लिया था। इस वर्ष अमावस्या तिथी 12 व 13 नवंबर 32 दिन होने से गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को की जाएगी और इसी दिन भगवान को अन्नकूट का प्रसाद भी लगाया जाएगा।
दीपावली के त्यौहार के आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन, भाई को रक्षा सूत्र बाँधती हैं, साथ ही तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है और बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें अच्छा उपहार भी देते है।
दीपावली के दिन राशि के अनुसार पूजा
मेष राश-मेष राशि के स्वामी मंगल होते हैं। ऐसे में मंगल राशि वाले लोगों को माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा के दौरान लाल फूल अर्पित करना चाहिए। पूजा के दौरान लक्ष्मी स्रोत का पाठ करना भी फायदेमंद होता है। मेष राशि वाले लोगों को ॐ ऐं क्लीं सौं मंत्र का जाप करना चाहिए।
वृषभ राशि-वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र होते हैं। इस राशि के लोगों को माता लक्ष्मी की पूजा के साथ ही ॐ महालक्ष्मयै नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे शुभ फल की प्राप्ति होगी।
मिथुन राशि-मिथुन राशि वालों के स्वामी बुध होते हैं। ऐसे में दीपावली के दिन उन्हें माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश का पूजन पूरे विधि-विधान के साथ करना चाहिए। मोदक का भोग लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
कर्क राशि-कर्क राशि वाले लोगों को दीवाली के दिन कमल के फूल से माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इससे शुभ फल की प्राप्ति होगी। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ॐ ऐं क्लीं श्री मंत्र का जाप करना भी लाभकारी होता है।
सिंह राशि-सिंह राशि वाले लोगों को ॐ ऐं हृीं श्रीं सौंः मंत्र का जाप करना फायदेमंद होता है। सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्य होते हैं। इन्हें माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। लाल रंग के फूल और मोदक भी अर्पित करना चाहिए।कन्या राशि-कन्या राशि वालों को पूजा करते समय माता लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करना चाहिए। पूजा के दौरान मीठे प्रसाद खासकर खीर का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। माता हरे वस्त्र भी अर्पण करना चाहिए।
तुला राशि-तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र हैं। इस राशि वाले लोगों को लाल रंग के फूल और वस्त्र या मिठाई चढ़ाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। दीपावली के दिन मंदिर में जाकर माता लक्ष्मी को नारियल अर्पण शुभ फलदायी होता है।
वृश्चिक राशि-वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं। राशि वाले लोगों को लक्ष्मी पूजा के दौरान लाल रंग का सिंदूर चढ़ाने से लाभ होता है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मोदक भी चढ़ाना चाहिए। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।धनु राशि-धनु राशि के स्वामी बृहस्पति होते हैं। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी को सफेद या पीले रंग के फूल अर्पित करने चाहिए। इसके साथ ही पीली मिठाई चढ़ाने से भी अनुकूल फल प्राप्त होता है। आपको श्रीसूक्त का पाठ करना चाहिए।
मकर राशि-मकर राशि के स्वामी शनिदेव होते हैं। ऐसे में दीवाली के दिन शनिदेव के सामने दीपक जलाना अच्छा होता है। माता लक्ष्मी के सामने शुद्ध देसी घी का दीपक जलाना चाहिए।
कुंभ राशि-कुंभ राशि वालों के स्वामी शनिदेव हैं। ऐसे में दिवाली के दिन पीपल पेड़ के नीचे दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। दीवाली के दिन पक्षियों को दाना डालना भी शुभ फलदायी होता है।
मीन राशि-मीन राशि के स्वामी बृहस्पति होते हैं। मीन राशि वालों को दीवाली के दिन लाल चुनरी के साथ ही कमल फूल अर्पितकर माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। आप कुबेर मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।